हरि डूबे है चिंतन में ।
खोए हुए तन मन में ।
माता लक्ष्मी प्रश्न पूछ रही है ।
उनके उलझन को बूझ रही है ।
प्रभु शैय्या पर विराजे ।
चिंता उनके मुख पर बड़ी है ।
आपदा द्वारे खड़ी है ।
विपदा कि ये घड़ी है ।
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