धरती मेरी प्यारी धरती ।
वो है माँ भारती ।
हम उनपे जुल्म है करते ।
वो सब कुछ चुप चाप सेहती ।
धीरे धीरे आहे भरती ।
हमारे लिए वो करती खुद को कुर्बान ।
कभी नहीं हमसे मांगे दान ।
हमे देती है वरदान ।
सब कुछ उसके बिना अधूरा ।
कुछ भि ना होता है पूरा ।
माँ की ममता का हम लाभ उठाते ।
सब कुछ उनसे ही पाते ।