क्यू ना मैं बचपन मे लौट जाऊ ।
खेलू कुदू और मौज मनाऊ ।
कितना अच्छा था ये बचपन ।
इसमे नहीं थी कोई चिंता ।
और ना कोई फिकर ।
कितने सच्चे और अच्छे थे हम
ना कोई झूठ का जिकर ।
और ना कोई फरेब की फिकर ।
हमारे आंशु जैसे तलवार की धार ।
इसके सामने सब है झुकते ।
हमारी मांगे पूरा करते ।
बचपन ऊनका राज्य और बच्चे वहां के राजा ।
काश बचपन फिर से लौट आये ।
काश बचपन फिर से लौट आये ।